चलो कहीं अब...
गीत(16/14)
चलो कहीं अब........
चलो कहीं अब भाग चलें इस,
दुनिया से दिल ऊब गया।
था जो सूरज अरमानों का,
अब तो बिल्कुल डूब गया।।
डूब गए वे चाँद-सितारे,
जो मन को अति भाते थे।
जब भी दिल में रही उदासी,
वे मन को बहलाते थे।
रुचिर प्रकृति का रूप सलोना,
गया तो देखो खूब गया।।
दुनिया से दिल ऊब गया।।
दुनिया के आकर्षण सारे,
फ़ीके-फ़ीके लगते हैं।
शीतल-मंद पवन के झोंके,
शोले जैसे जलते हैं।
घर-आँगन सब सूना लागे,
जलवा जब महबूब गया।।
दुनिया से दिल ऊब गया।।
दुनिया के ये आठ अजूबे,
करें धरा को शोभित अति।
सदा नयन को सुख ये देकर,
सबको करते मोहित अति।
अब तो लगता है यह मुझको,
वैभव अजब कुतूब गया।।
दुनिया से दिल ऊब गया।।
दिल में उलझन बनी हुई है,
सुलझे गुत्थी तो कैसे?
जीवन फँसा कुचक्रों में है,
मिलती मस्ती तो कैसे?
प्रकृति चतुर्दिक दिखे भयावह,
खिला पुष्प भी सूख गया।।
दुनिया से दिल ऊब गया।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
Gunjan Kamal
05-Feb-2023 02:28 PM
बहुत खूब
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अदिति झा
03-Feb-2023 11:19 AM
Nice 👍🏼
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Abhinav ji
02-Feb-2023 09:12 AM
Very nice 👌
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